Sunday 23 August 2015

मिडिल क्लास और जूस की दुकान...

किसी भी ‪#‎मिडिल_क्लास‬ और ‪#‎बिलो_मिडिल_क्लास‬ की आर्थिक स्थिति और जद्दोज़हद का जायजा लेना हो तो किसी "जूस की दुकान" पर खड़े हो जाइए.
गन्ने वाली जूस की दुकान पर नहीं...
मोसम्मी और मिक्स जूस बेचने वाली दुकान पर.
एक छोटा सा परिवार जिसमें एक ख़ूबसूरत सी पत्नी है, एक हैंडसम सा पति है और एक छोटा बच्चा भी...
जूस की दुकान पर पहुंचते ही "एक ग्लास जूस" का ऑर्डर करता है.
पत्नी उससे कहती है कि आप भी तो पी लीजिए, एक ग्लास और ऑर्डर कर दीजिए. आप अपने स्वास्थ्य का तो कतई खयाल नहीं रखते.
पति कहता है, अरे अभी-अभी तो तुमने पराठे खिलाए हैं, और ऊपर से दूध भी, मेरा तो आज का कोटा पूरा हो गया. तुम्हें इसकी ज़्यादा ज़रूरत है.
पत्नी दुकानदार के हाथों से जूस के ग्लास को लेकर पति को कृतार्थ नज़रों से देखती है और पति मन-ही-मन अपनी सीमित सैलरी और माह का हिसाब कर रहा होता है. पत्नी उसी जूस के ग्लास में से उनके दुधमुंहे बच्चे को जूस ज़रा सा चटा देती है, और वह बच्चा खट्टे जूस के स्वाद से आंखें मंटकाने और मुंह बिचकाने लगता है.
दोनो पति-पत्नी सिर्फ़ एक दूसरे को दिखने वाली मुस्कान बिखेरते हैं.
जूस खत्म होते ही दोनों जूस वाले को एक-साथ शुक्रिया कह कर विदा लेते हैं. इस उम्मीद में कि अगली बार तुम्हें दो ग्लास जूस का ऑर्डर ही दिया जाएगा.
#मिडिल_क्लास ‪#‎जद्दोज़हद ‬ ‪#‎जूस_की_दुकान‬

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